जैविक खेती से आय में इजाफा
आधुनिक तकनीकी का उपयोग
जिले में 1 लाख 98 हज़ार एकड़ धान के साथ खरीफ फसल ली जा रही है। अनाज की उपज को अधिक करने आधुनिक तकनीक का उपयोग के साथ ही विभिन्न कीटनाशक व रासायनिक खादों का उपयोग होने से अनाज को जहरीला बनता जा रहा है। अब धीरे-धीरे किसान जैविक खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं, जिले के 2000 से अधिक किसान अपने खेतों में जैविक खेती का उत्पादन ले रहे हैं, इसमें कि चिन्नौर और दुबरा जैसी देशी प्रजाति की चावल को ₹60 प्रति किलो की दर से ग्राहकों द्वारा खरीदा जा रहा है। रासायनिक खेती पर्यावरण के साथ ही स्वास्थ्य पर विपरीत होता है इसे जैव विविधता नष्ट हो जाती है। जहर युक्त अनाज से मुक्ति पाने के लिए कृषि तकनीकी ज्ञान व्यवस्थापन विभाग यानी आत्मा किसानों को जैविक अनाज का उत्पादन करने के लिए योजनाएं चलाकर आकर्षित कर रहा है। गोंदिया जिले के लगभग 2000 किसानों को समूह के माध्यम से एकत्रित कर जैविक खेती करने का प्रशिक्षण दिया है। अब किसानों ने 2000 एकड़ खेती कर मुक्त अनाज का उत्पादन लिया है। देशी प्रजाति का धान का उत्पादन लिया गया चिन्नौर और दुबराज राज्य से प्रति केवल 2 गुना दाम मिल रहा है और इसके लिए ग्राहक सीधे किसानों के घर पहुंच रहे हैं।
आधुनिक तकनीकी का उपयोग
जिले में 1 लाख 98 हज़ार एकड़ धान के साथ खरीफ फसल ली जा रही है। अनाज की उपज को अधिक करने आधुनिक तकनीक का उपयोग के साथ ही विभिन्न कीटनाशक व रासायनिक खादों का उपयोग होने से अनाज को जहरीला बनता जा रहा है। अब धीरे-धीरे किसान जैविक खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं, जिले के 2000 से अधिक किसान अपने खेतों में जैविक खेती का उत्पादन ले रहे हैं, इसमें कि चिन्नौर और दुबरा जैसी देशी प्रजाति की चावल को ₹60 प्रति किलो की दर से ग्राहकों द्वारा खरीदा जा रहा है। रासायनिक खेती पर्यावरण के साथ ही स्वास्थ्य पर विपरीत होता है इसे जैव विविधता नष्ट हो जाती है। जहर युक्त अनाज से मुक्ति पाने के लिए कृषि तकनीकी ज्ञान व्यवस्थापन विभाग यानी आत्मा किसानों को जैविक अनाज का उत्पादन करने के लिए योजनाएं चलाकर आकर्षित कर रहा है। गोंदिया जिले के लगभग 2000 किसानों को समूह के माध्यम से एकत्रित कर जैविक खेती करने का प्रशिक्षण दिया है। अब किसानों ने 2000 एकड़ खेती कर मुक्त अनाज का उत्पादन लिया है। देशी प्रजाति का धान का उत्पादन लिया गया चिन्नौर और दुबराज राज्य से प्रति केवल 2 गुना दाम मिल रहा है और इसके लिए ग्राहक सीधे किसानों के घर पहुंच रहे हैं।
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