कांशीराम जयंती मनाई गई
गोंदिया । कांशीराम (१५ मार्च १९३४ – ९ अक्टूबर २००६) भारतीय राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे। उन्होंने भारतीय वर्ण व्यवस्था में बहुजनों के राजनीतिक एकीकरण तथा उत्थान के लिए कार्य किया। इसके अन्त में उन्होंने दलित शोषित संघर्ष समिति (डीएसएसएसएस), १९७१ में अखिल भारतीय पिछड़ा और अल्पसंख्यक समुदायों कर्मचारी महासंघ (बामसेफ) और १९८४ में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की स्थापना की।
इसके बाद कांशीराम साहब ने 1981 में एक और सामाजिक संगठन बनाया, जिसे दलित शोषित समाज संघर्ष समिति (डीएसएसएस, या DS4) के नाम से जाना जाता है. उन्होंने दलित वोट को इकठ्ठा करने की अपनी कोशिश शुरू की और 1984 में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की स्थापना की. उन्होंने अपना पहला चुनाव 1984 में छत्तीसगढ़ की जांजगीर-चांपा सीट से लड़ा था.बीएसपी को उत्तर प्रदेश में सफलता मिली, शुरू में दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों के बीच विभाजन को पाटने के लिए संघर्ष किया, लेकिन बाद में मायावती के नेतृत्व में इस खाई को पाटा गया.
सन 1982 में उन्होंने अपनी पुस्तक 'द चमचा युग' लिखी, जिसमें उन्होंने जगजीवन राम और रामविलास पासवान और रामदास अठावले जैसे दलित नेताओं का वर्णन करने के लिए "चमचा" शब्द का इस्तेमाल किया था. उन्होंने तर्क दिया कि दलितों को अन्य दलों के साथ काम करके अपनी विचारधारा से समझौता करने के बजाय अपने स्वयं समाज के विकास को बढ़ावा देने के लिए राजनीतिक रूप से काम करना चाहिए. ऐसे महान भारतीय राजनेता एवं सामाजिक कार्यकर्ता इनकी जयंती ग्राम तुमखेड़ा खुर्द में मनाई गई। जिसमें सविधान मैत्री संघ के सभी कार्यकर्ता मौजूद थे।
श्रीमती सतीता जांम्भूळकर एवं उर्वशी राऊत के नेतृत्व में यह कार्यक्रम सभी के रहते हुए संपन्न हुआ।
No comments: