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डॉ बाबासाहेब आंबेडकर एक प्रेरणादाई स्त्रोत -अरुण बन्नाटे

 

ग्राम तुमखेड़ा खुर्द में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की 130 वी जयंती मनाई गई

जिसमें आंगनवाड़ी क्रमांक 1 आंगनवाड़ी सेविका,परिचर, सरपंच एवं अर्पन बहुद्देशीय सामाजिक संस्था गोंदिया के अध्यक्ष एवं अवंतीबाई लोधी महासभा गोंदिया के मीडिया प्रभारी- अरुण बन्नाटे विशेष रूप से उपस्थित थे।

गोंदिया । क्या है बाबासाहेब अंबेडकर की जयंती, किस तरीके से मनाते हैं आप यहां सभी जानकारी आपके समक्ष प्रस्तुत करते हुए मुझे आश्चर्य और दुख होता है कि हम सिर्फ और सिर्फ डॉ बाबासाहेब आंबेडकर की जयंती मनाकर बड़े-बड़े होर्डिंग, बैनर, फोटो और भी कई सारी चीजें का उपक्रम करते हैं किंतु, क्या आपने सोचा है सही में डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर की जयंती है, किस तरीके से मनानी चाहिए बाबासाहेब अंबेडकर की जयंती ? अगर सच्ची श्रद्धा और लगन से मनानी है तो उनका लिखित संविधान को हमेशा पढ़ते पढ़ते रहना चाहिए, हम सिर्फ और सिर्फ महापुरुषों की जयंती उस तारीख पर मनाते हैं बड़े जोर शोर से मनाते हैं हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। उसका ज्ञान आत्मसात करने की क्षमता हम जैसे लोगों में नहीं है तो क्या यह जयंती मनानी चाहिए सिर्फ तारीख पर ही बड़े-बड़े फोटो लगाने से नहीं होगा। उनका जो लिखित ज्ञान है वह अपने अंदर अर्जित करना पड़ता है, उसके बताए हुए रास्ते पर
चलना पड़ता है, उनकी किताबें पढ़ने से सच्ची श्रद्धा और जयंती के रूप में मनाने चाहिए। डॉ बाबासाहेब आंबेडकरने त्याग, इतने सारे सत्याग्रह और बहुत सारे हैं जो हमें समझना है। लोगों को समझाना भी है उनके आदर्शों का पालन के रचयिता किताबों का अध्ययन करके हमें अपने अंदर उनके सामान प्रतिभावान उर्जा सकारात्मक शक्तियां अर्जित करना है। तभी हमारा उनके प्रति सच्ची लगन और जयंती मनाने का औचित्य रहेगा वरना नहीं। उनके लिखे गए किताबों से हमें हर समय ज्ञान अर्जित करना है। उस ज्ञान को अपने अंदर ही समाहित न रखती हुए, उस पर अमल भी उसी तरीके से होना चाहिए जिस तरीके से बाबासाहेब आंबेडकर ने रखी थी उन्होंने अपने जीवन काल में जो सीख लोगों को दी वही सीख आज इतनी जज्बे के साथ हम और आप में होना चाहिए तभी सार्थक रूप से यह जयंती मनाई जाएगी। यह ठान लो कि हमें महाभारत या रामायण से ज्ञान नहीं आएगा सिर्फ और सिर्फ "संविधान" पढ़ने से ही ज्ञान का सही मार्ग दिखेगा।

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