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चित्रकार ने ऐसा क्यों बनाया "लॉकडाऊन" का चित्र, जो कुछ कहने और बोलने को विवश है..??

गोंदिया। कोरोना संक्रमण जैसी अनेकों महामारियां इस दुनियां में आयी, जिसने लाखों या करोड़ो लोगो को लील गई। परंतु इतिहास में पहला ऐसा अवसर या यूं कहें आज तक के इतिहास में पहली बार लोगो ने देखा होंगा, जब किसी संक्रमण से बचाव हेतु हमारा भारत देश पिछले 33 दिनों से बंद है। लोग घरों में, आश्रय स्थलो में अपनी सुरक्षा और बचाव के लिए कैद, बंद है।

   अब तक हजारों कोविड-19 संक्रमण से संक्रमित लोगो के मामले सामने आ चुके है। हजारों को बचाने में सफलता भी प्राप्त हुई है। कुछ दुखदायी घटना भी ऐसे हुई है जिसमें बचाने वाले डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों की जान भी गई है।

इसी कोविड के जानलेवा संक्रमण से खुद को बचाने वाले मानवजाति के हम इंसानों पर चित्रकार ने एक अलग संदेश देने का कार्य किया है। चित्रकार ने कोरोना से बचाव हेतु खुद को मॉस्क लगाता हुआ चित्र बनाया है। चित्र में मॉस्क में ताला लगा हुआ है, और  चाबी में कोरोना का प्रतिमात्मक लोगो बना हुआ है। चित्र में एक पक्षी भी है, तथा दो गोल्डन लाइन भी बनी हुई है।

  इस चित्र को बनाया है नागपुर के प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट उमेश चारोले ने।  चित्रकार ने चित्र के माध्यम से ये बताने की कोशिश की है कि, इंसान खुद के स्वार्थ के लिए, शौक के लिए सालों से शांति के प्रतीक निसर्ग पक्षियों को कैद रखता आया है। पर अफसोस आज वही इंसान खुद उस पक्षी की तरह अपने घरों में कैद है, बंद है, लॉकडाउन है।

 चित्रकार ने चित्र में मॉस्क में ताला लगाया है और चाबी में लटकता हुआ कोरोना का लोगो दिया है। इसका मतलब है, आप लॉकडाउन हो, जब तक कोरोना जाएगा नही चाबी से ताला खुलना सम्भव नही। इसी में दो गोल्डन लाइन है, जो लक्ष्मण रेखा के रूप में दर्शायी गई है। इसका मतलब ये है कि, आप इन लाइनों को लांघने का प्रयास ना करें, घर पर ही रहे।

   चित्रकार ने एक ही चित्र में सबकुछ परोसकर हमें वो सारे सन्देश दिए है जिसका पालन हमें आज के दौर में किया जाना चाहिए। इसके साथ ये भी संदेश है कि हमें आज की तालाबंदी से जो घरों में रहकर अनुभूति प्राप्त हो रही हैं उसकी कल्पना उन कैद पक्षियों से कर उन्हें भी आजाद रखने की संकल्पना करनी चाहिए ताकि वे भी प्रकृति में आजाद रहकर अपना जीवन जी सके।

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