महाराष्ट्र के विभिन्न शहरों में वितरित की गई आध्यात्मिक पुस्तकें
गोंदिया । महाराष्ट्र गोंदिया शहरों मे इस रविवार को विशाल पुस्तक सेवा का आयोजन किया गया। जिसमें संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्यों द्वारा गांव- गांव, नगर-नगर जाकर संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पवित्र पुस्तक जीने की राह एवं ज्ञान गंगा पुस्तक का वितरण किया गया। पुस्तकों में लिखित वाणियों को दोहराते हुए समाज को संत रामपाल जी महाराज का संदेश सुनाया किः और बात तेरे काम ना आवै सन्तों शरणै लाग रे। क्या सोवै गफलत में बन्दे जाग-जाग नर जाग रे।। तन सराय में जीव मुसाफिर करता रहे दिमाग रे। रात बसेरा करले डेरा चलै सवेरा त्याग रे।।
संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि परमात्मा की चर्चा व भक्ति के अतिरिक्त अन्य व्यर्थ बाते यानि चर्चा तुम्हारे काम की नहीं है, आपको तत्वज्ञान नहीं है इसलिए आप परमात्मा को भूल रहे हो, मोह-ममता व अज्ञानता की नींद में सो रहे हो। आप को तत्वदर्शी संत का सत्संग सुनकर आत्म कल्याण करवाना चाहिए। यह मानव शरीर में जीव ऐसे है जैसे यात्री किसी होटल में कमरा किराए पर लेकर रात्रि व्यतीत करता है और सुबह त्यागकर अपने कार्य पर चला जाता है। इसी प्रकार इस शरीर रूपी होटल में जीवात्मा यात्री के समान है। जब मृत्यु का समय आएगा, तब सवेरा हो जाएगा यानि शरीर रूपी सराय यानि होटल को त्यागने का समय हो गया है। आप शरीर त्यागकर भक्ति न करके खाली हाथ जाओगे।
No comments: