Breaking

बिजली की आंख मिचौली से ग्रामीण परेशान बिजली विभाग की अनदेखी का परिणाम

सालेकसा । तहसील का लगभग 99 फ़ीसदी विभाग ग्रामीण क्षेत्र में आता है और सालेकसा तहसील ऐसे भी शत-प्रतिशत आदिवासी अति संवेदनशील नक्सल प्रभावित तहसील के नाम से प्रख्यात है। जंगली भूभाग से आच्छादित इस तहसील की आए दिनों सबसे बड़ी समस्या बिजली बन कर बैठी है। इस संबंध में बिजली विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को कानों कान खबर देने के बावजूद उनका इस और अनदेखी करना एक बड़ी समस्या है। मानव की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक माने जाने वाली बिजली के गुल होने के बाद वातावरण कैसा निर्माण हो जाता है इस बात से सभी वाकिफ होने के बावजूद आदिवासी एवं जंगली बाग के लोगों को उनके हाल में छोड़ देना कहां तक सही है। तहसील के ग्रामीण इलाकों में बिजली की आंख मिचौली इस कदर बढ़ गई है कि, आम जनों की नींद चैन खो गई है लॉक डाउन और गर्मी की मार को चलते चलते ग्रामीण तंग आ चुके हैं। आगामी कुछ ही दिनों में जून का महीना आंधी तूफान लेकर आने वाला है बरसात के शुरुआती दौर में तो बिजली की और भी ज्यादा समस्या बढ़ जाती है ऐसे में बिजली विभाग को चाहिए कि जिस डंके की चोट पर बिजली का बिल वसूल किया जाता है, उसे डंके की चोट पर आम जनों के बिजली मुहैया की जाए। बरसात के पूर्व पूरी तहसील का चप्पा चप्पा छान कर भविष्य में उत्पन्न होने वाली बिजली की समस्याओं को दूर कर दिया जाए, ताकि समय पर बिजली संकट उत्पन्न ना हो। तहसील वासियों को बिजली की समस्या सबसे अधिक रात्रिकालीन में सताती है। इस कारण का अभाव यदि समय रहते योग्य नियोजित किया जाए तो, समस्या ही उत्पन्न नहीं होगी। परंतु विभाग की मानसिकता पर सब कुछ निर्भर करता है, आम जनों ने विनती है कि बिजली विभाग अपने अधीनस्थ सारी बिजली का अवलोकन करें एवं भविष्य में बिजली की आंख मिचौली से जनता को परेशान ना हो इस ओर गंभीरता से ध्यान दें।

No comments:

Powered by Blogger.