एक ऐसा व्यक्ति जो पैसे मांगने की बजाय पेपर मांगता हो..
मांगने वाला व्यक्ति पैसों की जगह पेपर मांगता है
गोंदिया । कहा जाता है कि पढ़ने की कोई उम्र, मर्यादा, सीमा अमीरी, गरीबी नहीं होती, वह तो जब चाहे तब कहीं भी कभी भी आगाज हो जाता है। पढ़ने का जज्बा हो तो अपने हर किसी पढ़े-लिखे व्यक्ति छात्र-छात्राएं युवा में देखे होंगे लेकिन एक मांगने वाला भला प्रतिदिन पेपर क्यों मांगता हो? यह सवाल आपके भी मन में कई बार आया होगा। ऐसा क्यों करता होगा वह व्यक्ति जो खाना, पैसे की जगह पेपर मांगता हो। चलो हम आपको रूबरू कराते हैं। यहां से प्रतिदिन कशिश के कार्यालय से गुजरते हुए जाता है और वह प्रतिदिन बाहर खड़ा होकर पेपर मांगता है। इस पेपर को वह व्यक्ति पढ़ता भी है और पढ़ कर उसे अपने साथ बड़े सहजता पूर्वक लेकर भी जाता है। एक दिन उसके पीछे पीछे जाकर देखा तो पता चला वह चित्र के साथ साथ गौर से पढ़ा जा रहा था, माना कि वह गरीब है मांगने वाला है लेकिन टैलेंट की कोई कमी नहीं है। जब मैंने उसे पूछा तो उन्होंने बताया मुझे पढ़ने में बहुत रुचि है और मैं हमेशा कशिश कार्यालय से पेपर लेकर जाऊंगा और पढ़ता रहूंगा। यह देख उस व्यक्ति का आभार माना साथ ही हार्दिक अभिनंदन भी किया। आश्वासन दिया कि उनको पढ़ने के लिए जितना पेपर की आवश्यकता होगी उपलब्ध करा दिया जाएगा। तब से लेकर आज तक वह व्यक्ति प्रतिदिन एक-एक पेपर लेकर जाता है और पढ़ने में रुचि दिखाने के साथ-साथ शहर की जानकारी भी बटोर रहा है।
सब पढ़े.. सब बढ़े की तर्ज पर सर्व शिक्षा अभियान के तहत उन्हें भी शिक्षा का अधिकार
जब किसी की भी पढ़ने में रुचि हो तो कोई भी व्यक्ति उस से वंचित नहीं होगा। सर्व शिक्षा अभियान के तहत सभी को पढ़ने का मौका मिलना चाहिए यह उनका जन्मसिद्ध अधिकार है, ऐसे व्यक्ति जो पढ़ने में अधिक रूचि रखते हो, उन्हें मौका मिलना ही चाहिए। उसमें सब की बराबरी का अधिकार मिलता है ऐसे कई सारे व्यक्ति जो शहर में है मांगने से ज्यादा पढ़ने में रुचि रखते हैं और पढ़ते भी हैं उनका जीता जागता उदाहरण हमारे सामने हैं। शासन को इनके लिए नई नीति बनानी होगी। इनको इन से वंचित नहीं रखा जा सकता। शहर में व्यक्ति का सर्वे करके उनके प्रतिभा को तराशा जा सकता है। उनमें टैलेंट कमाल का होता है भले ही वह दिखने में अटपटा सा लगे किंतु उन्हें बदला जा सकता है। इनसे शासन और प्रशासन की पूरी मदद मिलनी शुरू होगी तो सुचारू रूप से संभव है। बस पहल अपने को करनी होगी।
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