जीएमसी हॉस्पिटल गोंदिया में डॉक्टर नदारद - अरुण बन्नाटे
जिलाधिकारी को बताने के बाद भी कोई संज्ञान नहीं- बन्नाटे
गोंदिया । कहा जाता है कि स्वस्थ सर्वोपरि होता है। और इस रिलेटेड सबसे अच्छा और उत्तम साधन है सरकारी अस्पताल जी हां गोंदिया के सरकारी अस्पताल यहां पर सिर्फ नाम के ही रह गए हैं किंतु बड़े अधिकारी एवं कुछ राजनेता लोगों के हाथों में यह हॉस्पिटल बिक गए हैं। जो चाहे जैसे मर्जी चाहे वैसे हॉस्पिटल को चलाने को लगे हैं सिर्फ यहां बड़े-बड़े लोगों का इलाज संभव होता आ रहा है सिर्फ एक फोन कॉल्स और उसका इलाज तुरंत। लेकिन गरीब लोगों के बारे में कौन सोचें?
आज सुबह मॉर्निंग में जब मैं वहां का निरीक्षण करने गया तथा कुछ डॉक्टर के द्वारा बुलाए गए पेशेंट के साथ मैं खुद वहां मौजूद रहा जो कि मोतियाबिंद का आंखों का ऑपरेशन होना था कम से कम 1 दर्जन से ज्यादा आंखों का ऑपरेशन के लिए आए थे। जिसमें बूढ़ी माता है एवं पुरुष थे उन्हें डॉक्टरों द्वारा कई किलोमीटर गांव से ऑपरेशन के लिए सुबह 7:00 बजे बुलाया जाता है किंतु, वहां पहुंचने के बाद फिर से वही डॉक्टर द्वारा यह बता दिया जाता है की अभी बिल्डिंग का काम चालू है अभी ऑपरेशन नहीं हो सकता। एक महीने बाद आओ क्या है?
यह जब इस डॉक्टर को और अधिकारी को पता है की बिल्डिंग का काम चालू है फिर भी गरीब लोगों को परेशान करने के लिए उन्हें दिन प्रतिदिन बुलाया जाता है आखिर कब तक चलेगा ऐसा?
अगर जीएमसी अस्पताल के जीएस (डीन)भी अगर नहीं सुनता है तो जिल्हे के बड़े अधिकारी जिलाधिकारी के पास ही कोई भी शिकायत दे सकता है, किंतु उस शिकायत का निवारण अगर जिलाधिकारी ही नहीं कर पाए तो यह बहुत बड़ी सोकांतिका की बात है।
सवाल है यहां के प्रशासकी अधिकारियों से और जिलाधिकारी से जब जिला अधिकारी से पूछा गया उन्हें यहां सारी परेशानी से अवगत कराई गई तो उन्होंने, बातें टाल दी बाते को आगे बढ़ा दी की जीएमसी हॉस्पिटल वाले जीएस ही आगे का निर्णय लेंगे। उनके मुताबिक ही होगा, क्या है यह? स्टाप नहीं है करके बता दिया गया। जिलाधिकारी गोंदिया के किसी भी जिला के सबसे बड़े अधिकारी होता है लायन आर्डर वही संभालते हैं जब उनको यहां की बातें अवगत कराई गई तो उन्होंने इस पर क्यों ध्यान नहीं दिया? एक सवाल है प्रशासकीय अधिकारियों से आखिर कब तक ऐसा होता रहेगा?
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